मैं कौन हूं?
मैं कौन हूं? स्वयं-होना और जीवन-होना के बीच संतुलन की खोज। जब ‘मैं’ इस प्रश्न के साथ बैठता हूँ—मैं कौन हूँ?—तो एक गहरी समझ उभरती है। ‘मैं’ मात्र एक इकाई नहीं, बल्कि दो पक्षों का सामंजस्य हूँ: जीवन-होना (जीवन-केंद्रित ब्रह्मचेतना), जो ‘मैं’ को होने और जागरूक होने की क्षमता देता है। स्वयं-होना (स्वयं-केंद्रित व्यक्तिगत अस्तित्व),…